प्रेगनेंसी में देखभाल

By Cicle Health on 30 Nov, 2022
प्रेगनेंसी में देखभाल

प्रेगनेंसी और उससे जुड़ी देखभाल की जानकारी और उपचार

अगर आप प्रेगनेंट है या प्रेगनेंसी कंसीव करने का प्लान बना रही है तो तुरंत हमारे डॉक्टर से सम्पर्क करें। घर बैठे ही हमारे डॉक्टर से सलाह लेने के लिए यहां क्लिक कर अपॉइंटमेंट बुक करें।

प्रेगनेंसी केयर क्या है?

प्रेगनेंसी केयर में प्रेगनेंट महिलाओं के लिए डिलीवरी से पहले यानी प्रसव पूर्व और डिलीवरी के बाद यानी प्रसवोत्तर सेहत की देखभाल की जाती है। इसमें स्वस्थ प्रीप्रेगनेंसी, प्रेगनेंसी और मां और बच्चे के लिए लेबर और डिलीवरी सुनिश्चित करने के लिए उपचार और ट्रेनिंग शामिल की गई हैं।

प्रीनेटल केयर

प्रीनेटल केयर प्रेगनेंसी के दौरान जोखिम को कम करने में मदद करती है और सुरक्षित और स्वस्थ डिलीवरी की संभावना को बढ़ाती है। प्रीनेटल के मामले में नियमित तौर पर डॉक्टर से संपर्क करना प्रेगनेंसी की निगरानी करने और गंभीर होने से पहले किसी भी समस्या या जटिलताओं की पहचान करने में मदद कर सकते हैं।

जो महिलाएं प्रीनेटल केयर नहीं कर पाती है, उनके बच्चे का जन्म के समय कम वजन के साथ पैदा होने की संभावना तिगुनी होती है। प्रीनेटल केयर लेने वाली महिलाओं की तुलना में जन्म के समय कम वजन वाले नवजात शिशुओं की मौत की संभावना पांच गुना ज्यादा होती है।

प्रीनेटल केयर आदर्श रूप से प्रेगनेंसी कंसीव करने की कोशिश शुरू करने से कम से कम तीन महीने पहले शुरू हो जाती है। इस समय के दौरान कुछ स्वस्थ आदतों का पालन करना चाहिए:

  • स्मोकिंग और शराब छोड़ना।
  • रोजाना फोलिक एसिड(400 से 800 माइक्रोग्राम) की खुराक लेना।
  • अपने डॉक्टर से मेडिकल कंडीशन, डाइट सप्लीमेंट, ओवर-द-काउंटर या प्रिस्क्रिप्शन दवाओं के बारे में बात करें।
  • घर या काम पर जहरीले पदार्थों और केमिकल के साथ सभी संपर्क से बचें जो हानिकारक हो सकता है।

प्रेगनेंसी के लक्षण

प्रेगनेंसी में निम्न लक्षण दिखाई देते हैं:-

क्रैंप्स और स्पॉट:-

पहले चार हफ्तों में फर्टिलाइज्ड एग एक ब्लास्टोसिस्ट (फ्लूड से भरी कोशिकाओं का एक समूह) बनाता है, जो भ्रूण के अंगों में विकसित होगा। जैसे-जैसे समय बीतता है, ब्लास्टोसिस्ट यूटेरस की परत में खुद को इम्प्लांट कर लेता है। इसके कारण इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग होती है जिसे कुछ महिलाएं गलती से पीरियड समझ लेती हैं। यह हर महिला को नहीं होता है। अगर ऐसा होता है तो यह आमतौर पर उस समय के आसपास होता है जब महिला अपने पीरियड्स आने की उम्मीद कर रही हो। इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग के कुछ लक्षण हैं जैसे कि खून के रंग में बदलाव (सामान्य रूप से गुलाबी या भूरा), ब्लीडिंग, हल्का दर्द।

पीरियड्स का मिस होना :-

एक बार इम्प्लांटेशन पूरा हो जाए तो शरीर एचसीजी बनाने लगता है। एचसीजी हार्मोन शरीर को प्रेगनेंसी को मेंटेन करने में मदद करता है। यह ओवरी को हर महीने मेच्योर एग रिलीज करने से से रोकता है, इसलिए प्रेगनेंसी में पीरियड्स नहीं आते हैं। अगर पीरियड्स मिस गए तो प्रेगनेंसी की पुष्टि करने के लिए घर पर ही टेस्ट करें।

थकान:-

प्रेगनेंसी की पहली तिमाही के दौरान महिला खुद को थका हुआ महसूस करती है और बार-बार आराम की जरूरत महसूस होती है। शुरुआत में यह लक्षण आम है। प्रेगनेंसी के शुरूआती चरण में प्रोजेस्टेरोन का स्तर बढ़ जाएगा, जिससे ज्यादा नींद आ सकती है।

बार-बार पेशाब आना:-

यह लक्षण ज्यादातर महिलाओं को महसूस होता है। इस स्थिति में महिलाएं दिन में कई बार बाथरूम जाती है, साथ थी शुरुआती चरण में पेशाब को रोकना भी मुश्किल हो सकता है।

मॉर्निंग सिकनेस :-

मॉर्निंग सिकनेस प्रेगनेंसी के शुरुआती लक्षणों का सबसे खराब हिस्सा है। हो सकता है प्रेगनेंसी के हर चरण में मॉर्निंग सिकनेस हो। यह हर महिला और हर प्रेगनेंसी में हो, जरूरी नहीं। कोई भी दो तरह की प्रेगनेंसी एक जैसी नहीं होती है, कुछ महिलाओं के लिए मॉर्निंग सिकनेस गंभीर हो सकती है। अगर किसी महिला को लगता है कि वह प्रेग्नेंट है, तो घर पर प्रेगनेंसी टेस्ट करें। इसके लिए सबसे बेहतर समय पीरियड्स के एक सप्ताह बाद का है। ब्लड टेस्ट करवाने के लिए डॉक्टर के पास भी जा सकते हैं।

प्रेगनेंसी के दौरान

एक बार जब महिला प्रेगनेंट हो जाती है तो प्रेगनेंसी के हर चरण के दौरान नियमित रूप से स्वास्थ्य देखभाल के लिए डॉक्टर से संपर्क करना जरूरी है।

डॉक्टर से अपॉइटमेंट कुछ इस तरह से ली जा सकती है:

  • जब आप प्रेगनेंट हो, तब छह महीने तक हर महीने डॉक्टर के पास जाएं।
  • सातवें और आठवें महीने में हर दो हफ्ते में डॉक्टर के पास जाएं।
  • प्रेगनेंसी के नौवें महीने के दौरान हर हफ्ते। v
  • इन दौरान डॉक्टर आपकी सेहत और बच्चे के सेहत की जांच करेगा।

डॉक्टर अपॉइंटमेंट के दौरान निम्न चीजें कर सकते हैं:

  • नियमित टेस्ट और जांच करना जैसे एनीमिया, एचआईवी और खून के प्रकार की जांच के लिए ब्लड टेस्ट करना। ब्लड प्रेशर की निगरानी करना।
  • अपना वजन बढ़ाना।
  • बच्चे के विकास और हार्ट रेट को मॉनिटर करना।
  • विशेष डाइट और व्यायाम के बारे में बात करना।
  • बेबी की पॉजिशन की जांच करना और जन्म की तैयारी के दौरान शरीर में होने वाले बदलावों पर बात करना।
  • डॉक्टर प्रेगनेंसी की कई स्टेज में कई क्लास देने का सुझाव दे सकते हैं।

इन क्लास में निम्न चीजें होंगी:

  • डॉक्टर से चर्चा करें कि जब आप प्रेगनेंट हों तो क्या उम्मीद कर सकते है, क्या-क्या चीजें हो सकती है।
  • जन्म के लिए तैयार करें।
  • अपने बच्चे की देखभाल करने के लिए बेसिक स्किल्स यानी बुनियादी चीजें सिखाते हैं।
  • अगर आपकी उम्र या मेडिकल कंडीशन के कारण प्रेगनेंसी को उच्च जोखिम माना जाता है तब आपको ज्यादा बार डॉक्टर से मिलने और विशेष देखभाल की जरूरत पड़ सकती है।

पोस्टपार्टम केयर

प्रेगनेंसी की देखभाल पर सबसे ज्यादा ध्यान प्रेगनेंसी के नौ महीनों पर केंद्रित है, पोस्टपार्टम केयर यानी प्रसवोत्तर देखभाल भी जरूरी है। पोस्टपार्टम केयर छह से आठ हफ्ते तक की जाती है, जो बच्चे के जन्म के ठीक बाद शुरू होती है।

इस पीरियड्स के दौरान मां अपने नवजात बच्चे की देखभाल करना सीखते हुए कई शारीरिक और भावनात्मक बदलावों से गुजरती है। पोस्टपार्टम केयर में उचित आराम, पोषण और वेजाइनल केयर शामिल है। पर्याप्त आराम लें।

डिलीवरी के बाद महिलाओं के लिए आराम की जरूरत है जिन्हें दोबारा शरीर में एनर्जी बनानी होती है। न्यू मदर के रूप में बहुत ज्यादा थकने से बचने के लिए निम्न चीजों की जरूरत हो सकती है:

जब बच्चा सो जाए तब आप भी सो जाएं।

रात को दूध पिलाना आसान बनाने के लिए अपने बिस्तर को अपने बच्चे के पालने के पास रखें। जब आप सो रही है तब किसी और को बच्चे को बोतल से दूध पिलाने दें।

सही खाना खाएं

प्रेगनेंसी और डिलीवरी के दौरान शरीर में होने वाले बदलाव के कारण पोस्टपार्टम पीरियड में उचित पोषण हासिल करना जरूरी है। प्रेगनेंसी के दौरान बढ़ा हुआ वजन यह सुनिश्चित करने में मदद करता है कि ब्रेस्ट-फीडिंग के लिए पर्याप्त पोषण है। हालांकि डिलीवरी के बाद भी स्वस्थ आहार लेना जारी रखना चाहिए।

एक्सपर्ट सलाह देते हैं कि ब्रेस्टफीडिंग कराने वाली महिलाएं भूख लगने पर ही खाएं। खाने पर ध्यान केंद्रित करने के लिए कोशिश करें जब आप असल में भूखी हो - न सिर्फ बीजी या थके हुए।

हाई फैट स्नैक्स से बचें।

कम फैट वाले फूड खाने पर ध्यान दें जो प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट और फलों और सब्जियों को संतुलित करते हैं।

ज्यादा मात्रा में तरल पदार्थ पिएं।

वेजाइनल केयर

महिलाओं को पोस्टपार्टम केयर में वेजाइना की देखभाल अनिवार्य रूप से करना चाहिए।

डिलीवरी के बाद आप निम्न लक्षणों अनुभव कर सकते हैं:

  • अगर डिलीवरी के दौरान वेजाइना में टियर (त्वचा का फटना) हो तो दर्द हो सकता है।
  • पेशाब की समस्या जैसे दर्द या बार-बार पेशाब करने की इच्छा होना।
  • डिस्चार्ज छोटे ब्लड क्लॉट के साथ होना।
  • डिलीवरी के बाद पहले कुछ दिनों के दौरान संकुचन

लक्षणों पर चर्चा करने और उचित उपचार लेते रहें और डिलीवरी के लगभग छह हफ्ते बाद डॉक्टर से जांच कराएं। डिलीवरी के बाद चार से छह हफ्ते तक सेक्सुअल इंटरकोर्स न करें ताकि वेजाइना को ठीक होने का उचित समय मिले।

प्रेगनेंसी से जुड़ी जांच

ब्लड टेस्ट :- ये टेस्ट ओवुलेशन के लगभग 6 से 8 दिनों के बाद घरेलू प्रेगनेंसी टेस्ट से पहले प्रेगनेंसी का बता सकता है। घरेलू प्रेगनेंसी टेस्ट की तुलना में नतीजे आने में ज्यादा समय लगता है।

यूरिन टेस्ट :- इस टेस्ट को घर या डॉक्टर के क्लिनिक पर कर सकते हैं। होम किट पर लिखे निर्देशों का पालन करने से सटीक नतीजे मिलते हैं।

डॉक्टर के पास कब जाएं

अपने डॉक्टर को कॉल करें अगर आप प्रेगनेंट हैं या आपको लगता है कि आप प्रेगनेंट हैं और नीचे दिए लक्षण आपको दिखाई दें:

  • डायबिटीज, थायराइड रोग, हाई ब्लड प्रेशर के लिए दवाएं लेते हैं।
  • प्रीनेटल केयर नहीं की है।
  • दवाओं के बिना प्रेगनेंसी की सामान्य शिकायतों को मैनेज नहीं कर सकते हैं।
  • कोई सेक्सुअल ट्रांसमिटेड इन्फेक्शन, केमिकल, रेडिएशन या असामान्य प्रदूषकों के संपर्क में आए हों तब।
  • बुखार, ठंड लगना या पेशाब करते समय दर्द होना।
  • वेजाइना से खून बहना।
  • पेट में गंभीर दर्द।
  • शारीरिक या गंभीर भावनात्मक आघात।
  • पानी की झिल्ली टूट जाना।
  • प्रेगनेंसी के अंतिम भाग में हैं और ध्यान दें कि शिशु कम हिल रहा है या बिल्कुल नहीं चल रहा है क्या? अगर ऐसा है तो डॉक्टर से बात करो।

प्रेगनेंसी से जुड़ी डाइट

अगर आप कन्फ्यूज हैं कि प्रेगनेंसी में क्या लेना चाहिए और क्या नहीं, तो हमारे डायटीशियन से संपर्क करें।

मल्टीविटामिन लें :- प्रीनेटल विटामिन भ्रूण (फेटस) की ग्रोथ और डेवलपमेंट के लिए जरुरी होते हैं क्योंकि इसमें कुछ ऐसे पोषक तत्व होते हैं जिनका सेवन महिला के प्रेगनेंट होने पर किया जाना चाहिए। ये विटामिन जैसे कि कैल्शियम, आयरन और फोलिक एसिड हैं।

एक्सरसाइज :- एक्सरसाइज माँ और बच्चे दोनों के लिए अच्छी है, यह आपको प्रेगनेंसी के दौरान होने वाली समस्याओं से निपटने में मदद करता है जैसे कि नींद न आना, ज्यादा वजन बढ़ना और मसल्स में दर्द, मूड प्रॉब्लम। लेकिन इस बात का ध्यान रखें कि आप जो एक्सरसाइज कर रहे हैं वह हल्की है और इससे आपको या बच्चे को कोई नुकसान न पहुंचे।

पर्याप्त नींद लें :- रात में कम से कम 7 घंटे सोने की कोशिश करें और दिन के बीच में झपकी लेनी चाहिए। जैसे-जैसे आपकी प्रेगनेंसी आगे बढ़ेगी, थकान कम होने लगेगी। इसलिए पर्याप्त आराम करें।

हेल्दी खाएं :- प्रेगनेंसी के दौरान संतुलित आहार लें, क्योंकि यह आपको और आपके बच्चे को एनर्जी और पोषक तत्व देता है। आपको फल, सब्जियां, मांस, पनीर खाना चाहिए।

Cicle ही क्यों चुनें?

Cicle एक हेल्थ फ्रेंडली एप्लीकेशन है, जहां आप अपनी पहचान गुप्त रख कर भी हमारे स्वास्थ्य प्रदाता से चैट कर सकते हैं और अपने सवालों के जवाब हासिल कर सकते हैं। Cicle के साथ जुड़ने से आप अपने समय और पैसे दोनों की बचत कर पाएगी। सामान्यतः आपको डॉक्टर के पास कंसल्ट करने के लिए सफर करना होता है, इसके लिए अलग से खर्चा भी होता है, लेकिन Cicle को डाउनलोड कर आप घर पर ही सुविधानुसार अपने समय के हिसाब से डॉक्टर के साथ अपॉइटमेंट लेकर अपनी हेल्थ पर चर्चा कर सकते हैं।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

प्रेगनेंसी में कितना वजन बढ़ाना चाहिए?

प्रेगनेंसी में वजन बढ़ना हर महिला में अलग-अलग होता है। यह प्रेगनेंट होने से पहले वजन पर भी निर्भर करता है।

ज्यादातर प्रेगनेंट महिलाओं का वजन 10 से 12.5 किग्रा के बीच बढ़ जाता है, जो 20 हफ्ते के बाद ज्यादातर वजन बढ़ता है। अतिरिक्त वजन का अधिकांश हिस्सा आपके बच्चे के बढ़ने के कारण होता है, लेकिन शरीर भी फेट स्टोर करेगा, बच्चे के जन्म के बाद स्तन में दूध बनाने के लिए तैयार होगा।

प्रेगनेंसी में किन चीजों से बचना चाहिए?

लंबे समय तक अपनी पीठ के बल लेटने की कोशिश न करें, क्योंकि उभार एक बड़ी ब्लड वेसल पर दबाव डालेगा जो आपके दिल में खून वापस लाती है, जिससे आप बेहोश हो सकते हैं।

ऐसी किसी भी चीज़ से बचें जो आपके गिरने का जोखिम उठाती है, उदाहरण के लिए: घुड़सवारी, स्कीइंग और जिमनास्टिक। स्क्वैश, टेनिस, मार्शल आर्ट, फुटबॉल और रग्बी जैसी चीजें खेलने का विचार ठीक नहीं है, जहां आपके टक्कर लगने का खतरा हो।

प्रेगनेंसी से जुड़ी रिसर्च

नेशनल सैंपल रजिस्ट्रेशन सिस्टम (एसआरएस) डेटा की नवीनतम रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2016-18 की अवधि के लिए भारत का मातृ मृत्यु अनुपात (एमएमआर) 100,000 डिलीवरी में 113 केस रहे हैं। ऐसे में थोड़ी सी भी लापरवाही नहीं करना चाहिए। कुछ भी लक्षण दिखाई देने पर डॉक्टर से सलाह लेना चाहिए। अगर आपको वेजाइना के ओपनिंग के पास एक दर्द रहित छोटी सी गांठ, लालिमा, या सेक्स, चलने या बैठने के दौरान असहज महसूस हो तो तुरंत डॉक्टर से सलाह ले। आप चाहें तो वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हमारे एक्सपर्ट डॉक्टर से भी चर्चा कर सकते हैं। अपॉइंटमेंट बुक करने के लिए यहां क्लिक करें।

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