पोस्टपार्टम डिप्रेशन बच्चे के जन्म के बाद होता है। पोस्टपार्टम डिप्रेशन बेबी ब्लूज़ (उदासी की भावना जो बच्चा होने के बाद कुछ दिनों तक हो सकती है) नहीं है। पोस्टपार्टम डिप्रेशन में खाली, उदास और निराशाजनक महसूस होता है। पोस्टपार्टम डिप्रेशन में हर दिन एक संघर्ष बन जाता है, क्योंकि लक्षण समय के साथ गंभीर हो जाते हैं।
पोस्टपार्टम डिप्रेशन एक गंभीर मानसिक बीमारी है, यह रोजाना की जिंदगी में दखलंदाजी करता है। पोस्टपार्टम डिप्रेशन काफी आम है, क्योंकि यह अभी-अभी मां बनी महिलाओं को प्रभावित करता है। लक्षणों को पहचानना मदद की और पहला कदम है।
प्रेगनेंसी के बाद शरीर में बदलाव आता है। कुछ महिलाएं इसे एक नए शरीर में फेंके जाने और फिर से इसमें रहने का तरीका सीखने को लेकर अपना अनुभव बताती है। इसलिए प्रेगनेंसी के बाद कुछ बदलाव सामान्य हैं। लेकिन अगर आपको इनमें से कुछ या सभी लक्षण महसूस हो रहे हैं तो अपने डॉक्टर से संपर्क करें, हो सकता है कि आप पोस्टपार्टम डिप्रेशन का अनुभव कर रही हों।
कुछ महिलाएं ऐसे विचार रखने के लिए खुद को दोषी महसूस करती हैं, इसलिए वे इसे अपने तक ही सीमित रखती हैं। उन्हें लगता है कि वे बुरी मां हैं और शर्म और अपराधबोध महसूस करती है। पोस्टपार्टम डिप्रेशन का शिकार कोई भी हो सकता है। पोस्टपार्टम डिप्रेशन के कारण पूरी तरह से स्पष्ट नहीं हैं, लेकिन यहां कुछ संभावित कारण दिए गए हैं।
पोस्टपार्टम डिप्रेशन एक सामान्य मानसिक स्वास्थ्य बीमारी है जो बच्चे के जन्म के बाद महिलाओं को प्रभावित करती है। यह पूरी तरह से इलाज योग्य है, इसलिए महिलाओं के लिए यह जरूरी है कि वे इन लक्षणों पर ध्यान दें और तुरंत मेडिकल हेल्प लें। इलाज में देरी मां और बच्चे दोनों के लिए नुकसानदायक हो सकती है।